ट्रंप के एक कॉल से कच्चे तेल के दाम में लगी आग
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर प्राइस वॉर को खत्म कर सकते हैं। उधर, सऊदी अरब ने भी OPEC और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलाई।
हाइलाइट्स:
नई दिल्ली
गुरुवार को कच्चे तेल के दाम में जबर्दस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर प्राइस वॉर को खत्म कर सकते हैं। उधर, सऊदी अरब ने भी तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलाई ताकि तेल के बाजार को बैलेंस करने के लिए निष्पक्ष समझौता किया जा सके।
इस खबर के बाद तेल को जैसे पंख लग गए और तेल शुरुआती कारोबार में 47 पर्सेंट तक चढ़ गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के बीच फोन पर बातचीत के बाद यह बैठक बुलाई गई। ट्रंप के कॉल का असर ऐसा रहा कि तेल के दाम में पहली बार एक ही दिन में तेजी दर्ज की गई। ब्रेंट क्रूड 21 पर्सेंट चढ़ा और WTI में करीब 25 पर्सेंट की तेजी दर्ज की गई। हालांकि, आज तेल के भाव में 3 पर्सेंट तक की नरमी देखने को मिल रही है।
सऊदी अरब ने दोहराया कि उसने तेल उत्पादन में कटौती और 22 देशों का समर्थन हासिल करने को लेकर ओपेक और सहयोगी देशों के साथ समझौते की कोशिश की थी, लेकिन आम सहमति बनाने में विफल रहा।
ऑइल मार्केट पर मार्च की शुरुआत से ही दबाव देखने को मिल रहा है, जब प्रॉडक्शन घटाने को लेकर रूस और सऊदी के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। सऊदी अरब ने इसके लिए रूस को दोषी ठहराया था और कहा था कि रूस ने अतिरिक्त उत्पादन में पहले से जारी 17 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती के अलावा 15 लाख बैरल प्रति दिन की और कटौती पर सहमत होने से इनकार कर दिया था। बाद में उसने कहा कि वह अप्रैल में कम-से-कम एक करोड़ बैरल प्रतिदिन तेल का निर्यात करेगा जिसे बढ़ाकर रेकॉर्ड 1.06 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक किया जाएगा।
इसका मकसद वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति बढ़ाना था। इस कीमत युद्ध के कारण तेल का भाव 18 साल के न्यूनतम स्तर तक चला गया था। इससे अमेरिकी शेल तेल उत्पादकों पर दबाव बढ़ा है। उनके लिए इस कीमत पर उत्पादन करना महंगा पड़ रहा था।
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर प्राइस वॉर को खत्म कर सकते हैं। उधर, सऊदी अरब ने भी OPEC और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलाई।
Donald Trump |
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर प्राइस वॉर को खत्म कर सकते हैं
सऊदी अरब ने भी ओपेक और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलाई
इस खबर के बाद तेल को जैसे पंख लग गए और तेल शुरुआती कारोबार में 47 पर्सेंट तक चढ़ गया था
नई दिल्ली
गुरुवार को कच्चे तेल के दाम में जबर्दस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर प्राइस वॉर को खत्म कर सकते हैं। उधर, सऊदी अरब ने भी तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलाई ताकि तेल के बाजार को बैलेंस करने के लिए निष्पक्ष समझौता किया जा सके।
इस खबर के बाद तेल को जैसे पंख लग गए और तेल शुरुआती कारोबार में 47 पर्सेंट तक चढ़ गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के बीच फोन पर बातचीत के बाद यह बैठक बुलाई गई। ट्रंप के कॉल का असर ऐसा रहा कि तेल के दाम में पहली बार एक ही दिन में तेजी दर्ज की गई। ब्रेंट क्रूड 21 पर्सेंट चढ़ा और WTI में करीब 25 पर्सेंट की तेजी दर्ज की गई। हालांकि, आज तेल के भाव में 3 पर्सेंट तक की नरमी देखने को मिल रही है।
सऊदी अरब ने दोहराया कि उसने तेल उत्पादन में कटौती और 22 देशों का समर्थन हासिल करने को लेकर ओपेक और सहयोगी देशों के साथ समझौते की कोशिश की थी, लेकिन आम सहमति बनाने में विफल रहा।
ऑइल मार्केट पर मार्च की शुरुआत से ही दबाव देखने को मिल रहा है, जब प्रॉडक्शन घटाने को लेकर रूस और सऊदी के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। सऊदी अरब ने इसके लिए रूस को दोषी ठहराया था और कहा था कि रूस ने अतिरिक्त उत्पादन में पहले से जारी 17 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती के अलावा 15 लाख बैरल प्रति दिन की और कटौती पर सहमत होने से इनकार कर दिया था। बाद में उसने कहा कि वह अप्रैल में कम-से-कम एक करोड़ बैरल प्रतिदिन तेल का निर्यात करेगा जिसे बढ़ाकर रेकॉर्ड 1.06 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक किया जाएगा।
इसका मकसद वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति बढ़ाना था। इस कीमत युद्ध के कारण तेल का भाव 18 साल के न्यूनतम स्तर तक चला गया था। इससे अमेरिकी शेल तेल उत्पादकों पर दबाव बढ़ा है। उनके लिए इस कीमत पर उत्पादन करना महंगा पड़ रहा था।
0 Comments