बरेली: दूसरा सालाना "उर्स ताजुश्शरीय़ह" कोरोना वायरस के चलते बहुत सादगी के साथ मनाया गया, आल इंडिया तन्जी़म उलमा-ए-इस्लाम के बैनर तले देश के विभिन्न राज्यों व शहरों में मनाया गया है आज इस्लामिक रिसर्च सेंटर के कार्यालय स्थित दरगाह आला हज़रत पर मारिया कम्पनी के चेयरमैन हाजी शकिल कुरेशी ने रसायले ताजुश्शरीय़ह का विमोचन किया, ये किताब 3 जिल्दों में है और हज़रत की लिखी हुई 20 किताबे जो उर्दू भाषा में है उनका मजमुआ है, जिसको 2 साल की मेहनत में मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने तैयार किया है|
विमोचन करते हुए हाजी शकिल कुरेशी ने कहा कि हज़रत की शख़्सियत विश्व स्तरीये है हज़रत ने पूरी दुनिया में आला हज़रत के मिशन को आगे बढाया है, हज़रत मज़हबी रहनूमा के साथ रूहानी पेशवा भी थे, उनकी लिखी हुई अरबी और उर्दू भाषा में किताबों को जन-जन तक पहुचाने की जरूरत है|
इस मौके पर मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी, मौलाना अबसार अहमद, शाहिद रज़वी,आरिफ़ अंसारी, अनवर रज़ा कादरी आदि मौजूद रहे|
उर्स ताजुश्शरीय़ह
दुपहर में 2 बजकर 40 मिनट पर आला हज़रत ट्रस्ट के कार्यालय पर मौलाना मोहतशिम रज़ा खां कदरी की अध्यक्षता में उर्स ताजुश्शरीय़ह की मुख्तसर सी महफ़िल हुई जिसमें मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने हज़रत ताजुश्शरीय़ह की खिदमात और कारनामों पर रोशनी डाली हाफिज मुजफ्फर बरेलवी ने नात व मंकबत का नजराना पेश किया, मोहतशिम मियाँ की दुआ पर महफ़िल समपन्न हुई
इसमें मुख्य रूप से हाजी शमशाद अहमद, डॉ० जिशान, सय्यद शुएब, कलीम कुरेशी, चाद खां, साजिद खां, प्रोफेसर आसिम जक्वान रज़ा खां आदि उपस्थित रहे|
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