आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का तीन रोजा 103वां उर्से रजवी 2,3 व 4 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
दरगाह आला हज़रत के मजा़र का गुम्बद, बरेली |
इस्लामिक रिसर्च सेंटर ने अपने "3 साल के सर्वे" की रिपोर्ट West Point News18 को साझा की, रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में स्थित दरगाह आला हज़रत पर रिसर्च किया गया है, जिसके बारे में हम आगे बतायेंगे. [Islamic Research center report on Urs-e-razvi]
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आला हज़रत का 103 वाँ उर्स पिछले साल की तरह कोरोना की गाईड लाईन को ध्यान में रखते हुए चंद लोगों के साथ ही मनाया जायेगा दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रजा कादरी ने कार्यक्रम जारी किया, जिसमें उर्स के तीनों दिनों के सभी कार्यक्रम कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार ही होंगे, आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का तीन रोजा 103वां उर्से रजवी 2,3 व 4 अक्टूबर को आनलाइन मनाया जाएगा। [Islamic Research center report on Urs-e-razvi]
क्या है रिपोर्ट में?
इस्लामिक रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में है कि आला हज़रत वह शख्सियत है जो पूरे विश्व भर में अपने इल्म के दम पर मशहूर है, आला हज़रत को बच्चपन से ही नयी नयी चीजों को सिखने का बहुत शौक रहा, उनका मन किताबों को पढ़ने में ज्यादा लगता था, धीरे धीरे आपने किताबे लिखना शुरू कर दी, लेकिन उस समय आपको बहुत ही मुक्तसर से ही लोग जानते थे, आपने किताबे लिखने का सिलसिला हमेशा जारी रखा, और 1000 से भी ज्यादा किताबें लिखी, वक्त के साथ साथ लोग अपकी लिखी किताबे पढने लगे और आपके कलम से प्रभावित होकर आपके (Followers) मुरीद हो गये, अपने जीवन काल में आपने (Millions) लाखों की तादाद में लोगों को अपना मुरीद बनाया.
[Islamic Research center report on Urs-e-razvi]
आला हज़रत डाक स्टेम्प
आला हज़रत बरेलवी स्टेम्प |
जब देश-विदेश के लोगों ने आपकी लिखी किताबे पढ़ी, तो विदेशों में रहने वाले लोगों ने आपसे मुलाकात करने के लिए इंडिया आना शुरू कर दिया देखते देखते आपके मुरीदों की तादाद विश्व भर से बढने लगी और लाखों की संख्या देखते देखते दस लाख हो चुकी थी मुरीदों का सिलसिला यहाँ भी नहीं रुका, दुनिया भर में मशहूर होने के बाद 75 वां उर्स के मौके पर भारत सरकार ने आपके नाम से "31 दिसम्बर 1995" को आला हज़रत के नाम से एक भारतीय डाक स्टेम्प जारी किया जिसका नाम आला हज़रत बरेलवी रखा और उस स्टेम्प की कीमत 1 रुपए रखी, सबसे पहला आला हज़रत बरेलवी डाक स्टेम्प बम्बई से बरेली के लिए भेजा गया था
100 Fit ऊपर से दरगाह आला हज़रत के गुमबंद की खिची गयी तस्वीर |
बरेली शहर को बरेली शरीफ क्यों कहते?
आज जो लोग बरेली शहर में रहते हैं वो बहुत ही खुश नसीब है कि इतने पवित्र जगह पर उन्हें रहने का मौका मिला, उन लोगों का कहना है कि जब हम कहीं सफर कर रहे होते हैं या किसी दुसरे शहर में जातें हैं तो वहा के रहने वाले लोग हमारे बारे में पूछते हैं कि आप कहा के रहने वाले हो हम अपने शहर बरेली के बारे में बताते हैं यह नाम सुनते ही वह बहुत खुश होते है और बड़ीं ही मोहब्बत के साथ पेश आते है उनका बरेली शहर नाम सुनते ही खुश होने की वजह और कोई नहीं इमाम अहमद रजा है इसी वजह से बरेली को बरेली शरीफ कहा जाता है [Islamic Research center report on Urs-e-razvi]
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इस्लामिक रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में आगे है कि सुन्नी बरेलवी मसलक के मुसलमानों के सबसे बड़े धर्मगुरु आला हजरत इमाम अहमद रजा खां फाजिले बरेलवी का उर्स कोरोना की वजह से पिछले साल से आनलाइन मनाया जा रहा है उर्से रज़वी का आनलाइन प्रोग्राम में लाखों की संख्या में देश व विदेश के लोग जुड़े हैं, दरगाह प्रमुख ने लोगों के जान की हिफाज़त के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया था ताकि कोरोना जैसी मोहलि्क बीमारीयों से बचने के लिए और भीड़ भाड़ से दूरी बनाये रखने के लिए उर्से रज़वी के प्रोग्राम को आनलाइन टेलिकास्ट करना शुरू किया.
आनलाइन टेलिकास्ट से दुकानदारों पर क्या असर हुआ?
जब हमने इसके बारे में दरगाह आला हज़रत के आस-पास के दुकानदारों से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से उर्से रज़वी का प्रोग्राम आनलाइन टेलिकास्ट हो रहा है इससे दरगाह पर आने वाले मुरीदों की संख्या में कमी हुई मुरीदों की कमी वजह से दुकानदारों की आमदनी पर भी इसका असर साफ़ दिखाई देने लगा,
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जहाँ कोरोना से पहले वह 100 रुपये कमाते थे पर अब इसका आधा भी कमाना मुश्किल हो गया है, गलियों को सजाते और दरगाह से लेकर इस्लामिया ग्राउंड तक दुकान लगती थी, इस्लामिक चीजों से लेकर खाने पीने की हर चीजे मिलती थी दुकानदारों ने आगे कहा कि हम दुआं करते हैं कि सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाये. [Islamic Research center report on Urs-e-razvi]
इस्लामिक रिसर्च सेंटर के सर्वे के मुताबिक उर्से रज़वी का प्रोग्राम 34 देशों में एक साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा उर्स है जिसको विश्व भर के इतने देशों में मनाते है.
4 Comments
Bohat he umda likha ha
ReplyDeleteIslamic research center ki report dekh kr boht khushi huii
ReplyDeleteAllah apko tarakki dey
ReplyDeleteUrse e razvi online link?
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