दरगाह बरेली: हमेशा की तरह ही मनायेंगे यौमे रज़ा, लाकँ-डाउन में सोशल डिस्टेंसींग का पालन करते हुए

 हमेशा की तरह ही मनायेंगे यौमे रज़ा, लाकँ-डाउन में सोशल डिस्टेंसींग का पालन करते हुए |



अहमद रजा खान (अरबी : أحمد رضا خان, फारसी : احمد رضا خان, उर्दू : احمد رضا خان, हिंदी : अहमद रज़ा खान), जिसे आमतौर पर अहमद रजा खान बरेलवी, अरबी में इमाम अहमद रज़ा खान, या "आला हज़रत" के नाम से जाना जाता है -हज़रत "(14 जून 1856 सीई या 10 शावाल 1272 एएच - 28 अक्टूबर 1921 सीई या 25 सफार 1340 एएच ), एक इस्लामी विद्वान, न्यायवादी, धर्मविज्ञानी, तपस्वी, सूफी और ब्रिटिश भारत में सुधारक थे, और संस्थापक बरलेवी आंदोलन का। रजा खान ने कानून, धर्म, दर्शन और विज्ञान सहित कई विषयों पर लिखा था।


बरेली: तन्जी़म उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि कल "आला हज़रत का जन्म दिन" है पूरी दुनिया के लोग बड़े पैमाने पर "यौमे रज़ा" हमेशा की तरह मनायेंगे, लाकँ-डाउन में सोशल डिस्टेंसींग का पालन करते हुए हिन्दुस्तान के हर बडे़ शहरों में इस मौके पर यौमे रज़ा के नाम से कांफ्रेंसे आयोजित होती थी मगर इस बार चंद लोगों के साथ ही महफ़िल मुंकिद करके फातिहा खानी की जायेगी|


यौमे रज़ा कमेटी के प्रवक्ता मौलाना इर्शाद अहमद ने बताया कि कल दुपहर 1 बजे मज़ार आला हज़रत के सामने यौमे रज़ा का कार्यक्रम मुंकिद किया  जायेगा जिसकी अध्यक्षता मौलाना अरसलान रज़ा खां अजहरी करेंगे, उलमा आला हज़रत की खिदमात पर रोशनी दालेंगे|



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