लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर (एलएसी) तनातनी के बीच भारत रणनीतिक रूप से अभी चीन पर बढ़त बनाए हुए है जिससे चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है. चीन किसी भी कीमत पर काला टॉप और हेल्मेट टॉप को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है और इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. ऐसे में चीन के हर षड्यंत्र पर भारतीय सुरक्षा बलों की नजर बनी हुई है. बीते दिनों लद्दाख से करीब 1500 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश में चीन की तरफ से याक सीमा को पार कर भारतीय क्षेत्र में आ गया जिसे जवानों ने पकड़ लिया.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जानवरों के जरिए भी दुश्मन की जासूसी करवाई जाती है और क्या चीन की तरफ से जानबूझकर याक को भारतीय सीमा में भेजा गया था. अगर हम अलग-अलग देशों में दुश्मन के खिलाफ जासूसी के इतिहास को देखें तो कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिससे पता चलता है कि जानवरों और पक्षियों का जासूसी में इस्तेमाल किया गया और फिर उनसे मिले इनपुट को दुश्मन देश के खिलाफ बदले की कार्रवाई में इस्तेमाल किया गया.
दरअसल ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश में 31 अगस्त को याक का एक झुंड सीमा को पार कर भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर गया. भारतीय जवानों ने याक के झुंड को पकड़ लिया और जासूसी-सुरक्षा में सेंध के नजरिए से उन्हें एक हफ्ते तक अपने संरक्षण में रखा.
जब भारतीय सेना को 7 दिनों में भरोसा हो गया कि ये याक जासूसी करने नहीं आए थे और गलती से सीमा पार कर गए थे तो मानवता के नजरिए से उसे उसके मालिकों को लौटा दिया गया. इस दौरान सेना ने उन जानवरों के कई टेस्ट किए गए कि कहीं इन्हें दुश्मन देश खुफिया जानकारी पाने के लिए इस्तेमाल तो नहीं कर रहा है. दुश्मन देश पर भरोसे की कमी की वजह से हर चीज को शक के नजरिए से देखने का प्रचलन पूरी दुनिया में है.
अरुणाचल प्रदेश में जो याक भारतीय सीमा में मिले थे वो जांच के बाद जासूसी में शामिल नहीं पाए गए लेकिन दुनिया में ऐसे भी उदाहरण मिले हैं जहां जानवरों स जासूसी करवाई जा रही है.
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