कोरोना से जंग में कहा चुक गया भारत |
इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमने Medical Experts से बात की जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस की दुसरी लहर के बेकाबू होने के बारे में बाताया की, लखनऊ में रहने वाले 65 साल के एक व्यक्ति ने ट्विटर पर अपना हाल बताते हुए मदद की गुहार लगाई मेरा ऑक्सीजन लेवल कम है हस्पिटल वाले और डॉक्टर मेरा फोन नहीं उठा रहे हैं अगले दिन ट्विटर पर जानकारी देते हैं कि मेरा ऑक्सीजन का स्तर गिरकर कम हो गया है और पूछते हैं कि कोई मेरी मदद करेगा उसके बाद उनके ट्विटर अकाउंट से कोई ट्वीट सामने नहीं आता उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि ऑक्सीजन हासिल करने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुई और उस दिन उनकी सांसें थम गई, ऐसे ही देश भर में मदद की गुहार लगाते श्मशान और कब्रिस्तान के बाहर जगह कम पड़ने लगी है अब सवाल है कि भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेकाबू क्यों हो गई गलती कहां हुई?
Part 1: चुपके से वायरस का वार
इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमने एक्सपोर्ट से बात की, प्रोफेसर मुखर्जी भारत में मौजूद अपने दोस्तों की तस्वीरें देख रही थी वह New Years की पार्टी कर रहे थे और किसी ने भी मास नहीं पहना था मैं आगे की स्थिति के बारे में सोच कर फिक्रमंद हो उठीं थी, प्रोफेसर मुखर्जी मूल रूप से भारत की है वह बताती है कि उन्होंने फरवरी के मध्य में ही देश को अलर्ट किया था कि सभी को हाई अलर्ट पर रहना चाहिए साल 2020 में जब इस महामारी की शुरुआत हुई तब मुखर्जी और उनके सहकर्मियों ने ग्राफ ऊपर जाता दिखने का अनुमान लगा तो मैंने भारत में अपनी सोशल सर्किल और दोस्तों के जरिए यह बात आगे तक पहुंचाना चाहती थी कि एक बड़ा उछाल आने जा रहा है उसने उन्हें बहुत चिंतित कर दिया और उन्होंने इसे लेकर आगाह करने में पूरा जोर लगा दिया वो दावा करती है कि मार्च में उन्होंने एक इंटरव्यू में अपना अनुमान जाहिर किया था कि भारत में हर दिन 2000 लोगों की मौत हो सकती है कुछ ही हफ्तों में नए मामलों की संख्या हैरान करने वाले अंदाज में बढ़ने लगी, कोरोना बहुत खामोशी से एक कदम आगे बढ़ाता है उसके बाद हट पड़ता है आपको खामोशी से आगे बढ़ती पदचाप को सुनना और पहचाना होगा आपको कोरोना से संकेत लेते हुए जल्दी से कार्यवाही करनी होगी की विनाशकारी साबित हो रही दूसरी लहर के लिए कई कारण जिम्मेदार है सामने होने के बाद भी भारत में वायरस के कवर में हमने जो उछाल देखा उसकी वजह को समझना मुश्किल है यह आग की तरह फैल रहा है मुझे लगता है कि ज्यादा संक्रामक नाइजीरियन भी उछाल की एक वजह हो सकते हैं एक तूफान सा है रोजाना संख्या में नए मामले सामने आ रहे हैं मौत की संख्या का भी रिकॉर्ड बन रहा है प्रोफ़ेसर कहती हैं कि जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वास्तविक संख्या उससे कहीं ज्यादा है उनका कहना है कि खतरे की चेतावनी को अनसुना करना एक बड़ी गलत ही था वह यह भी कहती हैं कि उन्हें जब लोग कहते हैं कि आप की आशंका सही साबित हुई तो वह दुखी हो जाती है वह कहती हैं कि आप यह सोचकर सिस्टम को आगाह करते हैं कि लोग सक्रिय होंगे|
Part 2: स्वास्थ्य तंत्र का हाल
डॉक्टर स्वती सिंहा क्रिटिकल केयर विभाग में सीनियर कंसलटेंट है वह कहती हैं यह जानकारी सबको थी कि सेकंड बेव आयेगी लेकिन यह इस कदर जोर से झटका देगी इस बात का अंदाजा किसी को नहीं लगा था डॉक्टर सिन्हा कहती हैं कि इस बार एक ही परिवार के अलग-अलग पीढ़ियों के लोग भर्ती हो रहे हैं सिर्फ यह नहीं है कि अस्पतालों में सभी जरूरतमंद मरीजों के लिए बिस्तर उपलब्ध है या नहीं सवाल यह भी है
कि अस्पतालों का स्टाफ कितना बोझ झेल सकता है पता ही नहीं चल पाता है कि कब एक दिन खत्म हो गया और दूसरा दिन हो गया कि 24/7 यानी सातों दिन और 24 घंटे काम करने वाली स्थिति है हम अभी अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा काम कर रहे हैं हमें पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी थी हम भावनात्मक शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत थक चुके हैं देश के दूसरे हिस्सों में लोगों को ऑक्सीजन की कमी की दिक्कत हो रही है दिल्ली से जो रिपोर्ट आ रही है वहाँ पर पिक आ चुका है ऐसा पूर्वानुमान है कि हम यहां आने वाले कुछ हफ्तों में पिक देख सकते हैं
मुझे नहीं पता आने वाले दिनों में हालात कैसे होंगे भारत ने पिछले साल कोविड-19 का मुकाबला बेहतर तरीके से किया लेकिन इस बार जिन लोगों की जान बचाई जा सकती थी उनकी मौत हो रही है उनकी राय है कि ऐसा हाल नहीं होना चाहिए था पिछले साल कोरोना के केस कम होतें ही लोग छुट्टियां बिताने जाने लगे शादियों का मौसम आया तो शादियों में भीड़ दिखने लगी कोरोना से बचाव के तरीकों का पालन नहीं किया जा रहा था लोग सड़कों पर बिना मास्क हर जगह घूम रहे थे मेरी राय में हम यहीं कहीं गलती कर बैठे जिस वक्त बीमारो और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है
एक और सवाल पूछा जा रहा है कि भारत की टीकाकरण अभियान ने लहर पर लगाम क्यों नहीं लगाई? लोगों ने भारत के कोविड-19 टीकाकरण अभियान से कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगाई हुई थी
यह प्रशांत यादव है वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट फायदेमंद थी बड़े पैमाने पर उत्पादन की क्षमता है दूसरी ओर भारत के पास टीकाकरण अभियान चलाने का अनुभव है लेकिन अप्रैल के आखिर तक करीब 10% आबादी के करीब 2% आबादी ही ऐसी थी जिसने दुसरा टीका लगवाया, कि भले ही भारत में हर बच्चे के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जाता है लेकिन एक अरब से ज्यादा कुल आबादी को टीके लगाना इस चुनौती से तालमेल बैठाने में दिक्कत होती है और अगर भारत की पूरी आबादी को अगले 8 महीने के दौरान टीके लगाने हैं तो हर दिन दिए जाने वाले टिको की संख्या 70 से 80 लाख या एक करोड़ तक होनी चाहिए ऐसा करने के लिए बड़े ढांचे की जरूरत होगी इसके लिए सबसे ज्यादा वैक्सीन सप्लाई की जरूरत होगी यह एक जटिल होता है वह कहते हैं कि अप्रैल की शुरुआत में देखने को मिला कि जितनी मांग है उतनी आपूर्ति नहीं हो पा रही है जहां टीके लगाए जा रहे थे वहां भी पहली और दूसरी खुराक के लिए समय देने में दिक्कत आ रही थी कुछ केंद्रों पर वैक्सीन ही नहीं थी जबकि कोरोना वैक्सीन उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है भारत में कोविड-19 की करुणा तैयार हुई और उनका निर्यात भी किया गया इसलिए वैक्सीन उत्पादन की क्षमता भारत के लिए दिक्कत का मामला नहीं हो सकती है इसे बना रही कंपनी को दूसरी वैक्सीन के उत्पादन का अनुभवहै और कहते हैं
कि कोई जरूरी नहीं कि नई वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर लगाए गए अनुमान भी सही साबित नहीं होते हैं एक दूसरे का इस्तेमाल और दूसरी सावधानियां के साथ दूसरे उपाय जैसे कि मास्क का इस्तेमाल सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरी सावधानियां रखना जरूरी होगा भारत स्थित सीरम इंस्टिट्यूट राज्य का वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है इसे जनवरी में करीब एक करोड़ 1000000 वैक्सीन का शुरुआती आर्डर दिया गया भारत के बाहर तैयार वैक्सीन को खरीदने के लिए सरकार ने कोई आर्डर नहीं दिया प्रोफ़ेसर यादव कहते हैं कि वैक्सीन बनाने वाली सिर्फ 2 घरेलू कंपनियों पर भरोसे की मायने यह थी कि आबादी के मुताबिक जल्दी आपूर्ति यादव कहते हैं कि सरकार ने अब नियम बदले अब कंपनियां और राज्य सरकार इनका आयात कर सकती है लेकिन अप्रैल महीने के आखिरी तक केंद्र सरकार ने वाहनों की खरीद के लिए कोई आर्डर नहीं दिया बाहर से तुरंत आ गई अभी नए साल पर तुरंत रोक लगाना संभव नहीं होगा अमेरिका जैसे देशों ने भारत के लिए कच्चा माल देने की बात कही है भारत के लिए बड़ी आबादी का तुरंत टीकाकरण मुक्ति नहीं है तो दूसरे उपाय किए जाने चाहिए मुझे लगता है कि भारत सरकार की मनोदशा ऐसी थी कि उन्हें अपनी उत्पादन क्षमता पर पूरा भरोसा है भारत को इस मुश्किल से बाहर निकलने के लिए मजबूत नेतृत्व और व्यापक प्रयास की जरूरत होगी
दिल्ली में मौजूद बीबीसी संवाददाता कहते हैं कि भारत की आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट हैं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था महामारी के आखिरी दौर में है हम क्यों आखिर में चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव कराने का ऐलान किया इन राज्य में 18 करोड से ज्यादा वोट अधिक विश्वास मार्च भी कुछ रैलियों की कवरेज के लिए पश्चिम बंगाल गए थे उन्होंने कार में बैठकर रिपोर्टिंग की लाखों की संख्या में लोग आ रहे थे आला नेता रैली संबोधित करते उसी दौरान भारत और इंग्लैंड के बीच वनडे मैच खेले गए मैच को देखने के लिए हजारों लोग आए थे कहते हैं उसके बाद कुंभ मेला शुरू हो गया वहां 10 लाख लोग पहुंचे कुंभ मेले की हिंदुओं के लिए बड़ी अहमियत है इसका आयोजन 12 साल में एक बार होता है चौथे कहते हैं कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि गंगा में डुबकी लगाने से प्रतिरोधक क्षमता मिल जाएगी ऐसे में की वजह से जो भयावह स्थिति बनी है लेकिन मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करना कितना सही है? धार्मिक आयोजन क्रिकेट मैच आयोजन पर की जाती थी काफी हद तक होती है नेताओं के उलूल झूलुल बयान की वजह से भ्रम की स्थिति बनी अलग-अलग लोगों को समझ ही नहीं आ रहा था
कि वह किसकी बात माने वह कहते हैं कि सरकार की बड़ी नाकामी यह रही कि उसे समझ नहीं आया ऐसी बीमारी सिर्फ एक लहर के बाद जाति नहीं है बीते साल से कोई सबक नहीं लिया गया और जो कामयाबी हासिल हुई थी वह गवा दी गई, लेकिन अभी भारत मुश्किलों में चढ़ा हुआ है वायरस बेकाबू है स्वास्थ्य तंत्र चरमरा गया है लोगों के अंतिम संस्कार के लिए जगह तलाश की जा रही है भारत सांस के संकट से जूझ रहा है|
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