Maulana Shahabuddin और Maulana Tauqeer आमने-सामने, राजनीति में किसका पलरा भारी?

Dargah Ala Hazrat के Maulana Tauqeer Raza और Maulana Shahabuddin Razvi दोनों नेताओं में किस बात पर कहासुनी हुई 

मौलाना शहाबुद्दीन और मौलाना तौकीर आमने-सामने, राजनीति में किसका पलरा भारी?

बरेली: दरगाह आला हज़रत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी की लिखी हुई किताब मुफ़्ती आज़म और उनके खुल्फा का विमोचन केरला के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने सर्किट हाउस में किया, ये विमोचन कार्यक्रम 2 दिनों से काफी चर्चा में हैं विरोध के साथ भारी भरकम समर्थन जुटाने में मौलाना कामयाब रहे और विमोचन के बहाने सियासी असर व रसूक बढ़ाने में भी सफलता दिखी।

सोशल मीडिया पर चर्चा विमोचन के बहाने राजनीति में कदम रखना चाहते हैं मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी

सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि विमोचन के बहाने मौलाना राजनीति में कदम रखना चाहते हैं यही वजह है कि बहराइच की सरजमीन से राजनीति का आगाज करने वाले राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां को बरेली बुलाकर खुद बहराइच के निवासी मौलाना ने अपना एक भारी भरकम राजनीतिक वजूद पेश किया। 

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राज्यपाल ने अपने 1 घंटे के भाषण के दरमियान बार बार मौलाना का नाम लेकर बरेली के लोगों को अपने घनिष्ठ रिश्ते बताने कि कोशिश भी की उन्होंने यहां तक कह दिया कि मुझे तो ऐसा महसूस हो रहा है कि मैं बहराइच के किसी कार्यक्रम में बोल रहा हूं और मैं अपने परिवार में बैठा हूं, मौलाना का हौसला बढ़ाते हुए कहा विरोधियों की परवाह किए बगैर इल्म की रोशनी जलायें रखिये। 

मौलाना तौकीर ने किया विरोध 

नबीरे आला हज़रत मौलाना तौकीर रजा खां ने अपने आवास पर एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मौलाना शहाबुद्दीन की किताब के विमोचन कार्यक्रम की खुलकर मुखालफत की, ये अचंभित होने की बात है कि मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी तौकीर मियां के समर्थक माने जाते हैं उनके कार्यक्रमों में भी दिखते हैं, मौलाना ने कभी भी कोई ऐसा बयान तौकीर मियां की मुखालफत में नहीं दिया, बरेली के ये दोनों चर्चित मौलाना मे आखिर क्या अनदूरूनी बात हो गयी है जिसकी वजह से टकराव नजर आ रहा है।


विमोचन कार्यक्रम में ये बात खास तौर पर देखनें में मिली कि कार्यक्रम को पूरे तौर पर मजहबी और लिट्रेरी हद तक ही रखा गया, राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी चाहे भाजपा, सपा और कांग्रेस, बसपा कोई भी नज़र नहीं आया, जनपद के विधायकों मंत्रियों और सांसदों से मौलाना के रिश्ते बेहतर है इसके बावजूद भी कार्यक्रम में कोई मौजूद नहीं था। इससे जाहिर होता है कि मौलाना विमोचन कार्यक्रम के माध्यम से राजनीतिक पैगाम तो देना चाहते हैं मगर राजनीतिक पार्टियों के लोगों को न बुलाकर। 

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