History of Kohinoor Diamond |
The story behind the Kohinoor diamond, why is it so valuable?
अक्सर सोशल मीडिया पर पुछा जाता है कि कोहिनूर हीरे के पीछे की क्या कहानी है और कोहिनूर की कीमत कितनी होगी? आज हम आपको बतायेंगे कि यह हीरा इनता कीमती क्यों?
दुनिया का सबसे बेश कीमती कोहिनूर हीरा लंदन में कई सालों से रखा हुआ है लेकिन इसके ब्रिटेन से वापसी की मांग समय-समय पर होती रहती है सबसे पहले यह मांग की थी भारत में ब्रिटेन से आजादी के तुरंत बाद 1976 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री जेम्स कैलेघन को पत्र लिखकर कहा था कि कोहिनूर उन्हें वापस किया जाए नवंबर 2000 में तालिबान ने मांग की कि कोहिनूर उन्हें लौटाया जाए क्योंकि वह कानूनी तौर पर अफगानिस्तान की संपत्ति है
कोहिनूर हीरा किस देश का है?
2002 में जब क्वीन का देहांत हुआ तो कोहिनूर जड़े ताज को उनके ताबूत के ऊपर रखा गया तब ब्रिटेन में रहने वाले सिखों ने इस बात पर जबरदस्त एतराज किया कि उन्हीं की आंखों के सामने उन्हीं के देश से चुराए गए सामान की नुमाइश की जा रही है कि इसको समर्थकों ने किसी दक्षिण भारतीय मंदिर में एक मूर्ति की आंख से निकाला था कोहिनूर पुस्तक के लेखक विलियम डेलरिंपल कहते हैं
1750 में फारसी इतिहासकार मोहम्मद मालवीय के नादिरशाह के भारत पर आक्रमण का वर्णन मिलता है कि मैंने अपनी आंखों से कोहिनूर को देखा था जिसे लूट लिया गया था और जिसके बारे में कहा जाता था कि कोहिनूर हीरे की कीमत का अंदाज़ा ऐसे लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया के लोगों को ढाई दिन तक खाना खिलाया जा सकता था तख्ते ताऊस को बनाने में ताजमहल से दोगुना धन लगा था बाद में कोहिनूर को दक्षता उसे निकाल लिया गया था ताकि नादिरशाह इसे अपनी बांह में बांद सकें, इसके उदाहरण इतिहास में बहुत कम मिलते हैं
मशहूर इतिहासकार विलियम फ्लोर अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि 140000 सैनिक दिल्ली में घुस आये जिसकी वजह से अनाज के दाम आसमान पर चले गए सैनिकों ने मोलभाव करना चाहा तो उनमें और दुकानदारों में झड़प शुरू हो गई और लोगों ने सैनिकों पर हमला करना शुरू कर दिया दोपहर तक 9 सैनिक मारे जा चुके थे तब नादिरशाह ने दिल्ली की आबादी का कत्लेआम 9:00 बजे शुरू हुआ सबसे ज्यादा लोग लाल किला, चांदनी चौक और जामा मस्जिद के आसपास मारे गए कुल मिलाकर 30,000 लोगों का कत्ल हुआ मोहम्मद शाह के सेनापति के सामने गए और उसके सामने घुटनों के बल बैठ कर कहा कि दिल्ली के लोगों से बदला लेने की बजाय उनसे अपना बदला लेले और कत्लेआम रोक दे और कहा कि उनके दिल्ली छोड़ने से पहले उनको 100 करोड़ों रुपए देंगे अगले कुछ दिनों तक निजाम ने अपनी राजधानी को लूट कर नादिरशाह को झुकाया संक्षेप में एक क्षण में 348 सालों में मुगलों की जमा की हुई दौलत का मालिक कोई दूसरा हो गया और इतिहास जाने के बाद ही कोहिनूर पर पहली बार लोगों का ध्यान गया
मैटकॉर्प अपनी किताब में लिखते हैं कि दरबार की एक नर्तकी ने जब मुखबिरी करते हुए कहा की मोहम्मद शाह ने अपनी पगड़ी में कोहिनूर को छुपा रखा है निशा ने फौरन मोहम्मद 4 से कहा आइए दोस्ती की खातिर हम अपनी पगड़ी आपस में बदलने इस तरह कोहिनूर ना के हाथ में आया मालवीय ने अपनी किताब आलम आरा के दादरी में लिखा है दिल्ली में 57 दिनों तक रहने के बाद 16 मई 1739 को नादिरशाह ने अपने देश का रुख किया अपने साथ वह पीढ़ियों से जुटाई गई मुगलों की सारी दौलत ले गया उसकी सबसे बड़ी लूट थी तख्ते ताऊस जिसमें अभी तक कोहिनूर और तैमूर की रूबी जुड़े हुए थे लूटे गए सारे खजाने को 700 हाथियों 4000 उनको और 17000 गुणों पर लादकर इराक के लिए रवाना किया गया जब पूरी सेना चुनाव के पुल पर से गुजरी तोहर सैनिक की तलाशी ली गई कई सिपाहियों ने हीरे जवाहरात जप्त किए जाने के डर से उन्हें जमीन में गाड़ दिया कुछ ने तो उन्हें नदी में फेंक दिया इस उम्मीद में कि बाद में आकर वह उन्हें नदी की तली से उठाकर वापस ले जाएंगे
नादिरशाह के पास भी कोहिनूर बहुत दिनों तक नहीं रह पाया उसकी हत्या के बाद हीरा उसके अंगरक्षक अहमद शाह अब्दाली के पास आया और कई हाथों से होते हुए 1813 में महाराजा रणजीत सिंह के पास पहुंचा 1848 में 5 वर्षीय दलित कराया गया लेकिन दूसरे युद्ध में अंग्रेजो की जीत के बाद उनके साम्राज्य और कोहिनूर पर अंग्रेजो का कब्जा होता दिलीप सिंह को उनकी मां से अलग कर पति के साथ रहने के लिए भेज दिया गया और लॉर्ड डलहौजी ने कोहिनूर को महारानी विक्टोरिया को पानी के जहाज से भेजने का फैसला किया उसको रास्ते में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था|
उसे लंदन के क्रिस्टल पैलेस में ब्रिटेन की जनता के सामने प्रदर्शित किया गया 3 साल बाद इसकी इंग्लैंड में नुमाइश की गई द टाइम्स लिखते हैं कि लंदन में इससे पहले लोगों का इतना बड़ा जमावड़ा कभी नहीं देखा गया प्रदर्शनी जब शुरू हुई तो लगातार बूंदाबांदी हो रही थी जब लोग प्रदर्शनी के द्वार पर पहुंचे तो उन्हें उसके अंदर घुसने के लिए घंटों लाइन लगानी पड़ गया था कुछ सालों बाद दिलीप सिंह ने इच्छा प्रकट की कि वह अपनी असली मां जिंदल गौर से मिलने भारत जाएंगे जिंदल तब नेपाल पर रह रही थी उन्हें अपनी बेटी से मिलने कोलकाता लाया गया|
दिलीप सिंह कौन है?
दिलीप सिंह धीरे-धीरे रानी विक्टोरिया के खिलाफ होते चले गए उन्हें लगने लगा कि उन्होंने उनके साथ बेवफाई की है उनके मन में यह बात भी घर कर गई कि वह अपने पुराने साम्राज्य को दोबारा जीतेंगे वह भारत के लिए रवाना हुए लेकिन मदद से आगे नहीं बढ़ पाए 21 अप्रैल 1886 को उन्हें व उनके परिवार को पोर्ट सईद में गिरफ्तार कर लिया गया |
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