100 years of Urs-e-Razvi was celebrated in Dargah Aala Hazrat as per English date

100 years of Urs-e-Razvi according to English date
Dargah Ala Hazrat, celebrating 100 years of Urs-e-Razvi according to English date

WPNEWS18: सौदागरान स्थित इस्लामिक रिसर्च सेन्टर में 28 अक्टूबर गुरूवार को (100 years of Urs-e-Razvi English date) सौ साला उर्से आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान का आयोजन किया गया, जिसकी सरपरस्ती करते हुए (All India Tanzeem Ulma-e-Islam) आल इंडिया तन्जीम उलमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Razvi) ने कहा आला हज़रत का देहांत 28 अक्टूबर 1921 को हुआ था इस हिसाब से 100 year's पूरे हो गए.

आला हज़रत बरेली कब तशरीफ लाये?

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खा फाजिले बरेलवी का जन्म14 जून  सन् 1856 को बरेली में हुआ, आपके पूर्वज सईद उल्लाह खान कंधार के पठान थे जो मुग़लों के समय में हिंदुस्तान आये थें, आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक, तथा समाज सुधारक थे। जिन्हें उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधि दी।

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उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह तआला व मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वसल्लम के प्रति प्रेम भर कर हज़रत मुहम्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों को जीवित कर के इस्लाम की सही रूह को पेश किया, आपके वालिद साहब ने 13 वर्ष की छोटी सी आयु में अहमद रज़ा को मुफ्ती घोषित कर दिया। उन्होंने 55 से अधिक विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक किताबें लिखीं

जिन में उनकी एक विश्व प्रसिद्ध प्रमुख किताब फतावा रजविया इस सदी के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 30 भागों में वितरित है मौलाना ने आगे कहा कि हम सबको मिलकर आला हज़रत के मिशन को आगे बढ़ाने की जरूरत है

दरगाह प्रमुख की सरपरस्ती में (English calendar) अंग्रेजी तारीख के मुताबिक 100 साला उर्स-ए-आला हज़रत (urs-e-razvi) मनाया गया

दरगाह आला हज़रत के प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खां सुब्हानी मियां और दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मौलाना अहसन रज़ा खां की सरपरस्ती में दरगाह पर 2.38 मिनट पर 100 उर्स-ए-रजवी का कुल शरीफ हुआ, कुल में उत्तराखण्ड में भारी बारिश से हुई तबाही और जान माल के मुकसान पर वहाँ के हालात जल्द सुधरने की दुआ की गयी और सुख शांति कायम रखने की अपील की.

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मदरसा शाने आला हज़रत मे भी मनाया गया 100 साला उर्स-ए-रजवी अंग्रेजी तारीख Urs-e-Razvi English date. 

इस मौके पर मदरसा शाने आला हज़रत के प्रधानाचार्य मुफ्ती शैख सिराजुद्दीन कादरी ने आला हज़रत की ज़िन्दगी पर रौशनी डालते हुए कहा कि आला हज़रत ने हमेशा क़ुरान और सुन्नत के मुताबिक ज़िन्दगी गुजारी और लोगों को हिदायत भी दी इश्के रसूल उनका अहम मिशन रहा उसके साथ साथ समाज में फैली हुई बिदअतें (बुराइयाँ) भी खत्म की इमाम अहमद रज़ा खान ने कुरान का उर्दू अनुवाद भी किया जिसे कंजुल ईमान नाम से जाना जाता है, आज उनका तर्जुमा इंग्लिश, हिंदी, तमिल, तेलुगू, फारसी, फ्रेंच, डच, स्पैनिश, अफ्रीकी भाषा में अनुवाद किया जा रहा है, आला हज़रत ने पैगम्बर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान को घटाने वालों को क़ुरआन और हदीस की मदद से मुंह तोड़ जवाब दिया.

मन्नानी मियां ने भी आयोजित किया 100 साला उर्स-ए-रजवी का प्रोग्राम 100 years of Urs-e-Razvi. 

दरगाह आला हज़रत के इस समय के सबसे बुजुर्ग शख्सियत कहें जाने वाले मौलाना मन्नान रज़ा खां मन्नानी मियां ने अपने नूरी मरकज़ में अंग्रेजी तारीख के मुताबिक इमाम अहमद रज़ा का 100 साला उर्स-ए-रजवी के प्रोग्राम को शानों शौकत के साथ मानाया.

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