Saeed Noori say, If the government does not allow the procession of Eid Milad-un-Nabi, then the procession will be taken out from the mosques of every locality. |
मुंबई: Eid Miladun Nabi इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद Prophet Mohammed साहब के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। भारत में कई मुसलमान इस त्योहार को मनाते हैं। ईद मिलाद पर कुछ बैंक और व्यापारिक कार्यालय बंद रहते हैं। इसे ई-मिलाद, नबी दिवस, मोहम्मद के जन्मदिन या पैगंबर के जन्मदिन के नाम से उन-नबी के नाम से भी जाना जाता है।, इस दिन सभी लोग अपने घरों को लाईटों से सजाते है नये नये कपड़े पहनकर रिशतेदार से मिलने जातें हैं, जुलूस निकाले जाते हैं.(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
Eid Miladunnabi (ईद मिलाद-उन-नबी) के जुलूस को लेकर रज़ा एकेडमी की गुरुवार को सुन्नी बिलाल मस्जिद, छोटा सोनापुर में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमे आल इंडिया सुन्नी जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना मोईनउद्दीन अशरफ और रज़ा एकेडमी के प्रमुख अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने भी हिस्सा लिया। रज़ा एकेडमी की और से आयोजित इस बैठक में करीब 60 संगठनों के नेता भी शरीक हुए।(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
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बैठक में Eid Miladunnabi (ईद मिलाद-उन-नबी) के जुलूस की अनुमति नहीं दिये जाने को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की गई। जिसमे कहा गया कि ने सरकार ने बाजार, शॉपिंग मॉल, बाजार और सार्वजनिक स्थान खोल दिए हैं। मस्जिद और मंदिर भी खोल दिए गए हैं। सरकार को जुलूस को निकालने की अनुमति देनी चाहिए। हम यह भी जानते हैं कि पूरी दुनिया आज कोरोना वायरस से चिंतित है लेकिन इससे बचने के उपाय भी किए जा रहे हैं। हालांकि, हम अभी भी सरकारी दिशानिर्देश का पूरा पालन करते हुए जुलूस निकालेंगे।(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
इस मौके पर अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने कहा कि जब महाराष्ट्र सरकार ने स्कूल और धार्मिक स्कूल खोले हैं ईद मिलाद-उन-नबी जुलूस निकालने की अनुमति और इसकी गाइडलाइन अभी तक जारी क्यों नहीं की गई। ऐसे में महाराष्ट्र की हर गली की मस्जिद से जुलूस निकाला जाएगा। एक मुसलमान अपने पैगंबर के नाम पर अपनी जान दे सकता है लेकिन वह अपने नबी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। हम चाहते हैं कि ईद मिलाद-उन-नबी के जुलूस को जल्द से जल्द निकालने की अनुमति जारी करे। यदि हम अनुमति नहीं देते हैं, तो हम उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे।(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
उन्होने कहा कि जुलूस निकालना हमारा संवेधानिक अधिकार है। हमारे नेताओं को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और सरकार से संपर्क करना चाहिए क्योंकि हर मुसलमान चाहता है कि अन्य धार्मिक त्योहारों की तरह ही ईद मिलाद-उन-नबी के जुलूस की अनुमति दी जाए। हम अपने नेताओं से कहेंगे कि वह जल्द से जल्द सरकार से संपर्क करें और हमारी भावनाओं का विशेष ध्यान रखें और महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लें। उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमान अपने नबी के जन्मदिवस को हर साल बड़ी धूमधाम से मनाते हैं इसलिए महाराष्ट्र सरकार हमें अनुमति दें।(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
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मौलाना अब्बास ने आगे कहा कि हमें हजरत मोइनुल मशाईख द्वारा दिए गए संदेश का पालन करना चाहिए। जिसमे जरूरतमंदों, बीमारों, गरीबों, अनाथों, बेसहारा लोगों की जरूरतों को पूरा करने पर ज़ोर दिया गया। उन्होने कहा कि 12 रबी-उल-अव्वल के अवसर पर ईद मिलाद-उन-नबी मनाने की तारीख सदियों से मौजूद है। ऐसे में जुलूस की गाइडलाइन में देरी समझ से परे है। ऐसे में रजा एकेडमी ने अन्य सुन्नी संगठनों के साथ अदालत जाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए वकीलों के साथ चर्चा शुरू कर दी गई है।(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
अंत में, हजरत सैयद मोइन मियां उन्होंने उलेमा-ए-अहल-ए-सुन्नत को निर्देश दिया और कहा कि शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बातचीत चल रही है। मंत्री असलम शेख को एक बैठक में ईद मिलाद-उन-नबी के जुलूस को लेकर मुस्लिमों की भावनाओं से अवगत करा दिया गया है। शेख ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से आज शाम या कल तक गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।
क्या आप मोहम्मद साहब के बारे में कुछ ख़ास बातें जानते हैं?
ऐसा माना जाता है कि खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रील के जरिए कुरान का पैगाम दिया था। इस्लाम के अनुयायी मिलाद-उन-नबी के त्योहार को बड़े पैमाने पर मनाते हैं। हालांकि इस त्योहार को लेकर शिया और सुन्नी अलग-अलग राय रखते हैं।
पैगंबर मोहम्मद का जन्म
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार पैगंबर मोहम्मद का जन्म इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी अल-अव्वल 573 ई. की 12 तारीख को हुआ था। इस दिन को पैगंबर की पुण्यतिथि के रूप में भी मनाया जाता है।
मोहम्मद का पूरा नाम
पैगंबर हजरत मोहम्मद (सी.) का पूरा नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्ला इब्न अब्दुल मुत्तलिब था। उनका जन्म मक्का शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और उनकी माता का नाम बीबी अमीना था। कहा जाता है कि 610 ईस्वी में उन्हें मक्का के पास हीरा नामक गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान की शिक्षाओं का प्रचार किया।(Eid Miladun Nabi on Saeed Noori)
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